प्रकृति का निर्माण भी यज्ञ से ही हुआ

दीपक मिश्रा

 

हरिद्वार- 7 जुलाई धरती पर रहने वाले सभी जीव के लिए प्रकृति का व्यवहार मातृवत् रहता है। बिना किसी भेदभाव के प्रकृति सबका पालन पुत्र की भॉति करती है। वैदिक ग्रन्थ, उपनिषद इस के पुखता प्रमाण है कि प्रकृति का निर्माण भी यज्ञ से ही हुआ है। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग के पर्याय मे आयोजित यज्ञ के अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो0 सोमदेव शतान्शु ने बौद्विक प्रदान करते हुये कहॉ कि यज्ञ को दैनिक दिनचर्या का अनिवार्य अंग बनाने से स्वास्थ्य एवं समृद्वि प्रदान करता है। उन्होने आहवान किया कि सभी को अपने घरों मे सप्ताह मे कम से कम एक दिन यज्ञ करने का संकल्प लेना चाहिए। यज्ञ मे प्रयुक्त होने वाली हवन सामाग्री के औषधीय गुणों पर चर्चा करते हुये कहॉ कि वर्ष ऋतु मे प्रायः छोटे एवं बारीक महीन जीवाणु उत्पन्न होने से त्वचा के संक्रमण को फैलाते है। सामाग्री मे सरसों के दानों को मिलाकर आहुति देने से जीवाणु कम होते है तथा संक्रमण की दर भी प्रभावित होती है। विज्ञान इस बात का समर्थन करता है कि यज्ञ करने वाले व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने से वे भयानक बीमारियों के प्रभाव से बचे रहते है। सत्यं वद् धर्मम चरं जैसे अनुकरणीय सिद्वान्त जिसमे सत्य बोलने तथा धर्म के अनुसार आचरण करना निर्देशित है वहां समाज मे धर्मम वद् अर्थीत धर्म के बारे अधिक बोलना ज्यादा प्रचलित है। उन्होने प्रत्येक सामुहिक उत्थान के लिए किया जाने वाला संरचनात्मक कार्य यज्ञ है।

इस अवसर पर प्रो0 नवनीत, डॉ0 बबलू वेदालंकार, डॉ0 भगवानदास शास्त्री, डॉ0 अजय मलिक, डॉ0 शिवकुमार चौहान, डॉ0 कपिल मिश्रा, डॉ0 अनुज कुमार, डॉ0 प्रणवीर सिंह, सुनील कुमार, बिजेन्द्र सिंह, राजकुमार, राजेन्द्र सिंह, गौरव आदि उपस्थित रहे।

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