दीपक मिश्रा
हरिद्वार-04 नवम्बर प्र्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट के अन्तर्गत देश मे किसानों की आय दोगुना करने तथा प्राकृतिक खेती तथा परम्परागत व्यवस्थाओं को बढावा देेने के उददेश्य से गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय मे प्राकृतिक खेती के सिद्वान्त एवं पद्वतियॉ विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला के उदघाटन अवसर पर जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की नमामि गंगा परियोजना के एडवाईजर जगमोहन गुप्ता ने अपने सम्बोधन मे कहॉ कि प्राकृतिक खेती को बढावा देने मे भारतीय परम्परागत व्यवस्थाओं का प्रयोग एवं प्रकृति मे सन्तुलन बनाने मे बेहतर विकल्प है। उन्होने कहॉ कि प्राकृतिक खेती ही देश के अन्नदाताओं की माध्यम से वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस क्षेत्र में 20 माडल फार्म बनाये जाने प्रस्तावित है। उन्होेने कहा कि जिन किसानों के पास एक हेक्टयर भूमि फार्म हेतु उपलब्ध है। वह इस योजना से जुडकर लाभ उठा सकते है। उन्होने कहा की गुरूकुल कंागडी समविश्वविद्यालय में इस योजना के तहत एक मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की जायेगी। जिसमें किसान अपनी मृदा का परीक्षण कराकर उपयोगी फसलों को उगाकर अपनी आय बढा सकेगे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रानीपुर विधान सभा क्षेत्र के विधायक आदेश चौहान ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि विकासवादी दौड के चलते हम हर क्षेत्र में तकनीकी व मशीनी योजनाओ पर निर्भर हो प्राकृति संे दूर होते जा रहे है। जिसके चलते इसके कई दुष्परिणामो से हमारा दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है। हमें अपने जीवन को सुधारने के लिए विकासवादी दौड से हटकर प्राकृति से जुडकर प्राकृतिक संसाधनो को अपने जीवन में जोडना होगा। खेती व किसान भी इसी दौड से जुडे है। उन्हे भी प्राकृति व उसके संसाधनों की ओर लौटना होगा।
विशिष्ठ अतिथि पूर्व राज्यमंत्री (दर्जाधारी) सुशील चौहान ने कहा कि खेती पर निर्भर किसानो की स्थिति सुधारने की दिशा में केन्द्र सरकार निरन्तर अग्रसर है। इस प्रकार के कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रो में भी व्यापक स्तर पर किये जाने चाहिए जहा किसानो से सीधे संवाद स्थापित कर उनकी समस्याओ का समाधान किये जाने के बेहतर अवसर सुलभ होगे। कार्यशाला मेे नोडल अधिकारी प्रो0 डी0एस0 मलिक ने प्राकृतिक खेती की जरूरत एवं समाधान पर रूपरेखा प्रस्तुत की।
अध्यक्षीय सम्बोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो हेमलता कृष्णमूर्ति ने कहा कि महर्षि दयानंद का आहवान वेदो की ओर लौटों के साथ आज की जरूरत है कि हमे प्राकृतिक खेती की ओर लौटना ही होगा, तभी आधुनिक एवं रासायनिक दुष्प्रभावोे से परम्परागत खेती को बचने के प्रयास करने होगे। विश्वविद्यालय इसके लिए हरसंभव सहयोग करने के लिए तत्पर रहेगा। प्राकृतिक खेती को बढावा देने के लिए विश्वविद्यालय अनुसंधान की दिशा में कार्य करते हुए किसानो के अनुभवो व सुझावों को समाहित करके समस्याओं का समाधान निकालने का प्रयास करेगा। कुलसचिव प्रो सुनील कुमार ने कहॉ कि इस कार्यशाला के द्वारा प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार की व्यापकता बढेगी तथा अनुसंधान के माध्यम से किसानो का विकसित करने का मार्ग प्रशस्त होगा। कार्यक्रम को प्रो0 उपेन्द्र बालियान, योगेन्द्र राठी, डॉ0 बिजेन्द्र कुमार यादव, डॉ0 वाई0के0 सैनी ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यशाला मे जमालपुर, बहादरपुर जट, सराय, रानीमाजरा क्षेत्रों के किसान एवं अन्नदाता उपस्थित रहे। किसानों ने प्राकृतिक खेती को अपनाने मे आ रही समस्याओं पर भी संवाद किया। इस अवसर पर डॉ0 दीनानाथ शर्मा, प्रो0 एल0पी0 पुरोहित, प्रो0 नमिता जोशी, प्रो0 प्रभात कुमार, डॉ0 विपिन कुमार, डॉ0 अजय मलिक, डॉ0 बबलू आर्य, डॉ0 शिवकुमार चौहान, डॉ0 गगन माटा, डॉ0 अश्वनी जांगडा, डॉ0 विनोद नौटियाल, डॉ0 कपिल गोयल, डॉ0 प्रणवीर सिंह, प्रमोद कुमार, नागेन्द्र राणा, विशाल कुमार, हंसराज जोशी कुलभूषण शर्मा, विकास राणा, हेमन्त नेगी, अश्वनी कुमार, धर्मेन्द्र बिष्ट आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डा नितिन काम्बोज तथा धन्यवाद ज्ञापन डा धर्मेन्द्र बालियान द्वारा किया गया।