प्रतियोगिता का आयोजन किया

दीपक मिश्रा 

 

विख्यात गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में आयोजित सात दिवसीय समारोह ‘विश्व धरोहर सप्ताह-2024’ में लगातार चौथे दिन कार्यक्रमों की श्रृंखला में भारतीय इतिहास और धरोहर पर आधारित एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें छात्र- छात्राओं को विश्वविद्यालय स्तरीय ‘धरोहर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता’ में भाग लेने का अवसर मिला। छात्र-छात्राओं को एस.एस.सी एवं यू.पी.एस.सी. जैसे बड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित किया गया। छात्रों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने यह साबित किया कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के विद्यार्थी अपने भविष्य को लेकर सजग हैं एवं उन में अपने सपनों को संजोने की असीम ताकत है।

कार्यक्रम की अगली श्रृंखला को संबोधित करते हुए डॉ० दिलीप कुशवाहा ने अपने गुरु प्रो० भट्टाचार्य को याद करते हुए बताया कि हमारी संस्कृति हमारे जीवन को जीने का एक अतिरिक्त ढंग होती है और संस्कृति अच्छी अथवा बुरी नहीं होती, वह अपनी भौगोलिक स्थिति में सर्वश्रेष्ठ होती है। डॉ० कुशवाहा की अपनी पुरातात्विक विद्वता ने विभागीय सभागार में बच्चों को संबोधित करते हुए धरोहर के बारे में विस्तार पूर्वक अपने विचार रखे। धरोहर के प्रकार, महत्व एवं उसको बचाने की प्रक्रिया को विस्तार पूर्वक समझाया। समाज की जिम्मेदारी किस प्रकार धरोहर का संरक्षण कर सकती है एवं समाज की जागरूकता ही आने वाली पीढ़ी को धरोहर के प्रति गौरव महसूस करा सकती है। साथ ही उन्होंने बताया यूनेस्को द्वारा अपनाए गए पांच सी० कम्युनिटी, कम्युनिकेशन, कैपेसिटी बिल्डिंग, कंजर्वेशन और क्रेडिबिलिटी है। जिसमें यह कार्यक्रम पहले दो कम्युनिटीज और कम्युनिकेशन को मुख्य रूप से प्रदर्शित कर रहा है।

आज के कार्यक्रम के मुख्य संयोजक प्रो० देवेंद्र गुप्ता ने अपनी वाणी से छात्र-छात्राओं का उत्साह बढ़ाते हुए यह प्रतिज्ञा करवाई की धरोहर को संजोना हर भारतीय की जिम्मेदारी है एवं उन्होंने एक अद्भुत नारे के साथ कार्यक्रम का समापन किया “आपका प्रेम पाप है यदि धरोहर पर उसकी छाप है” । डॉ दीपा गुप्ता ने अपने विचारों को पटल पर रखते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में सभी छात्र-छात्राओं की भागीदारी निश्चित रूप से इस समारोह को सफल बनाएगी।

कार्यक्रम में मुख्य भूमिका रही डॉ. हिमांशु पंडित, डॉ. रेखा सिंह, डॉ. प्राची रंग, भानु प्रताप गंगवाल सुनील कुमार, दीपक कुमार, विकास कुमार, आँचल, चंचल की ।

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