दीपक मिश्रा
हरिद्वार 26-7-2023
महाविद्यालय में आज कारगिल विजय दिवस पर भारतीय सेना एवं शहीदों के सम्मान में काॅलेज में निर्मित शौर्य दीवार पर देश के वीर शहीदों को नमन कर कालेज परिवार द्वारा पुष्पाजंलि अर्पित की गयी।
प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने इस अवसर पर देश के वीर बहादुर सैनिकों को अपनी पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि कारगिल विजय दिवस भारतीय सेना की बढ़ती सामरिक क्षमता का परिचायक है। आज का दिन सीमा सशस्त्र बलों के वीरतापूर्ण प्रयासों और बलिदानों को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय दिवस भारत के शौर्य का प्रतीक है। यह दिन उन वीर सपूतों के लिए समर्पित है जिन्होंने अपना आज हमारे कल के लिए बलिदान कर दिया। प्रो. बत्रा ने कहा कि भारत वीर योद्धाओं की भूमि है, भारत ने हमेशा कड़ा संघर्ष कर देश की दुश्मनों से रक्षा की है, जिसका उदाहरण कारगिल युद्ध के रूप में देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कारगिल जैसी विषम भौगोलिक परिस्थिति में युद्ध लड़ना और जीतना निःसन्देह भारतीय सेना की शक्ति का परिचायक है। उन्होंने महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक सेना में अपनी सेवायें देकर अपने और देश की तरक्की का मार्ग प्रशस्त करें। उन्होंने मंच से यह उदघोषणा की कारगिल युध्द का नेतृत्व करने वाले जनरल वी पी मलिक की कारगिल विजय पर लिखित पुस्तक की हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में अलग अलग प्रतियां महाविद्यालय पुस्तकालय में छात्र छात्राओं के पठन पाठन के लिए उपलब्ध करायी जाये। इस अवसर पर डॉ बत्रा ने माखनलाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा भी सदन को सुनाई।
अधिष्ठाता छात्र कल्याण डाॅ. संजय कुमार माहेश्वरी ने विजय दिवस की शुभकामनायें प्रेषित करते हुए कहा कि आज शौर्य दिवस है, जो कारगिल विजय की याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा हेतु उत्तराखण्ड ने सदैव अपना योगदान दिया है तथा देश की सम्प्रभुता, एकता व अखण्डता की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना कभी भी अपने सर्वोच्च बलिदान देने से पीछे नहीं हटी। कारगिल विजय दिवस प्रकारान्तर से भारतीय सेना के इसी मनोबल को सम्पुष्ट करता है।
राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष विनय थपलियाल ने कारगिल युद्ध के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतनी दुर्गम परिस्थितियों में भारतीय सेना द्वारा इस युद्ध का जीता जाना इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना उच्च प्रशिक्षित एवं युद्ध कौशल में विश्व में सर्वश्रेष्ठ है तथा उन्होंने कारगिल युद्ध के बाद बनी सुब्रह्मण्यम समिति की सिफारिशों के महत्व को रेखांकित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ. अमिता मल्होत्रा द्वारा किया गया गया।
इस अवसर पर डाॅ. मन मोहन गुप्ता, प्रो. तेजवीर सिंह तोमर, प्रो. जगदीश चन्द्र आर्य, डाॅ. सुषमा नयाल, वैभव बत्रा, डाॅ. विजय शर्मा, श्रीमती रिंकल गोयल, श्रीमती रिचा मिनोचा, डाॅ. आशा शर्मा, डाॅ. सरोज शर्मा, डाॅ. लता शर्मा, डाॅ. शिव कुमार चौहान, डाॅ. मोना शर्मा, डाॅ. रेणू सिंह, डाॅ. सुगन्धा वर्मा, डाॅ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, विनीत सक्सेना, मोहन चन्द्र पाण्डेय, श्रीमती हेमवती, राजकुमार, संजीत कुमार, कैलाश चन्द जोशी आदि सहित काॅलेज के अनेक शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारी व काॅलेज के छात्र गौरव बंसल, रिया, आरती असवाल, आंचल, किरण, अदिति, सोनिया, पूजा आदि छात्र-छात्रा उपस्थित थे।