श्रेष्ठ भारत एवं उन्नत भारत प्रकोष्ठ द्वारा एक दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी व व्याख्यान आयोजित हुआ

दीपक मिश्रा

 

*हरिद्वार।* उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में एक भारत श्रेष्ठ भारत एवं उन्नत भारत प्रकोष्ठ द्वारा एक दिवसीय अखिल भारतीय संगोष्ठी व व्याख्यान आयोजित हुआ। संगोष्ठी का विषय “शास्त्रीय आधार पर रक्षाबन्धन एवं उपाकर्म का निर्णय” था। कार्यक्रम का आरंभ आचार्य आशुतोष काला द्वारा मंगलाचरण के साथ हुआ। मुख्यवक्ता व्याकरण के विद्वान डॉ शैलेश कुमार तिवारी ने अपने व्याख्यान में भारतीय पर्वों को मनाये जाने के संदर्भ में लोगों की शंकाओं का तत्काल समाधान किया। वर्ष 2023 में रक्षाबन्धन पर्व को कब मनाए जाने पर उन्होंने निर्णयसिन्धु,धर्मसिन्धु, विष्णुपुराण, मदनरत्न सहित विविध शास्त्रीय ग्रन्थों के प्रमाणों की समीक्षा कर निर्णय दिया कि उपाकर्म एवं रक्षाबन्धन दोनों ही पर्व आगामी 30 अगस्त को ही मनाया जाना शास्त्रसम्मत है। उपाकर्म दिन में पूर्णिमा के समय भद्राकाल में किया जा सकता है। शास्त्रों में भद्रा काल के समय उपा कर्म का निषेध नहीं मिलता है जबकि रक्षाबंधन भद्रा में नहीं करना चाहिए ।रक्षाबन्धन भद्रा बीत जाने पर 30 अगस्त को ही रात्रि 9 बजकर 5 मिनट बाद करना चाहिए। डॉ शैलेश तिवारी ने बताया कि रक्षाबंधन एवं उपाकर्म शास्त्रीय पर्व हैं जिन्हें लोकाचार की बजाए शस्त्रीय विधि से करना चाहिए। उन्होंने परिचर्चा, प्रश्नोत्तरी एवं समाधान के लिए अनेक लोगों से चर्चा कर प्रश्नों का उत्तर देकर सन्तुष्ट किया। सभी प्रश्नों का शास्त्रीय मर्यादा के आधार पर सटीक उत्तर डॉ तिवारी ने दिया। ऑनलाइन आयोजित इस संगोष्ठी का संयोजन डॉ कंचन तिवारी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेश चंद्र शास्त्री ने की। कार्यक्रम में डॉक्टर अंबरीश मिश्रा डॉ नवीन चंद जोशी डॉक्टर रमेश चंद जोशी डॉक्टर गोपाल जोशी डॉ हेमंत जोशी मीनाक्षी सिंह सहित देशभर से अनेक प्रतिभागी जुड़े रहे।

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