दीपक मिश्रा
हरिद्वार, 31 अगस्त। कनखल स्थित श्री दरिद्र भंजन महादेव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन की कथा सुनाते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बताया श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला के पीछे कोई ना कोई रहस्य छिपा है। माखन चोरी एवं चीर चोरी लीला का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि बृजवासी सारा दूध, दही, मक्खन आदि मथुरा में बेच आते थे। दूध, दही, मक्खन आदि पौष्टिक आहार नहीं मिलने से बृजवासी बालक शारीरिक रूप से कमजोर हो रहे थे। जबकि मथुरा में कंस और कंस के राक्षसी साथी दूध, दही, मक्खन आदि खाकर पहलवान हो रहे थे। कंस के राक्षसों से मुकाबले के लिए बृजवासी बालकों को बलवान बनाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोपिकाओं के घर में जाकर बृजवासी बालकों को खूब दूध, दही, मक्खन खिलाया। बृजवासी बालकों का बल बढ़ा तो एक-एक कर अघासुर, बकासुर और कंस आदि राक्षसों का संहार हुआ। इसलिए श्रीकृष्ण को माखन चोर कहना उचित नहीं है। शास्त्री ने बताया कि इसी प्रकार से भगवान की गोपियों संग चीरहरण लीला के पीछे प्रयोजन यह था कि जब गोपिकाएं यमुना में नग्न स्नान किया करती थी तो कंस के राक्षस गोपीकाओ को छुप-छुप कर देखते थे और पकड़ कर उनके साथ अभद्र व्यवहार करते थे। चीरहरण के माध्यम से कन्हैया ने सभी को स्नान करते समय, दान देते समय, सोते समय, चलते फिरते समय बिना वस्त्रों के नहीं रहने की शिक्षा दी। इस अवसर पर मुख्य यजमान पंडित उमाशंकर पांडे, पंडित हरीश चंद्र भट्ट, पंडित कृष्ण कुमार शास्त्री, पंडित रमेश गोनियाल, पंडित राजेन्द्र पोखरियाल, पंडित निराज कोठारी, पंडित कैलाश चंद्र पोखरियाल, पंडित बचीराम मंडवाल, केशवानंद भट्ट, अजय शर्मा, मोहित शर्मा, शिवम प्रजापति, राहुल धीमान, सागर धवन, पंडित गणेश कोठारी, पवन तनेजा, रिचा शर्मा, किरण देवी, अनसुल धवन, बबली शर्मा, गीता चैहान सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।