दीपक मिश्रा
हरिद्वार, 2 सितम्बर। कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल में संत समाज ने पंजाब स्थित निर्मल कुटिया डेरा अंगेठा साहेब तप स्थान संत हरनाल सिंह महाराज के ब्रह्मलीन महंत बलवीर सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। ब्रह्मलीन महंत बलवीर सिंह के शिष्य एवं डेरे के नवनियुक्त महंत संत गगन दीप कौर व संत बलराज सिंह ने संत समाज से आशीर्वाद प्राप्त किया और गुरू परंपरांओं का पालन करते हुए समाज सेवा का संकल्प लिया। श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत बलवीर सिंह महाराज तपस्वी संत थे। उन्होंने समाज उत्थान एवं मानव कल्याण में विशेष योगदान दिया। उन्होंने जीवन पर्यन्त गरीब असहाय निर्धन परिवारों के कल्याण में अपना जीवन समर्पित रखा। उनके पदचिन्हों पर चलकर राष्ट्र निर्माण में भागीदारी निभाएं। सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में मिलजुल कर प्रयास करने होंगे।
जरूरतमंदों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपने कार्यो को अंजाम दें। मुखिया महंत प्यारा सिंह ने कहा कि महंत बलवीर सिंह के अधूरे कार्यो को निर्मल अखाड़े के संत पूरा करते चले आ रहे हैं। मनुष्य कल्याण में सभी को अपना योगदान देना चाहिए। देश की एकता अखण्डता को बनाए रखने में सहयोग दें। ब्रह्मलीन महंत बलवीर सिंह ने समाज को ज्ञान के प्रकाश से अवगत कराया। उनके दिखाए मार्गो का अनुसरण करते हुए समाज उत्थान में अपना योगदान दें। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत बलवीर सिंह महाराज त्याग व तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण में योगदान करने का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि महंत ज्ञानदेव सिंह महाराज के नेतृत्व में श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के संत सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे हैं। स्वामी आदि योगी, महंत दर्शन सिंह शास्त्री व महंत खेम सिंह ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत बलवीर सिंह महाराज महान संत थे।
समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने के साथ सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। नवनियुक्त महंत गगन दीप कौर व संत बलराज सिंह ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मुखिया महंत प्यारा सिंह, महंत हरजिंदर सिंह, महंत दर्शन सिंह शास्त्री, महंत गुरविंदर सिंह, संत बलवीर सिंह, स्वामी आदियोगी, महंत खेम सिंह, महंत निर्भय सिंह, महंत राघवेंद्र सिंह, महंत गोविंददास, महंत विष्णुदास, महंत सूरजदास, स्वामी कृष्णानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष उपस्थित रहे। इस दौरान शबद कीर्तन एवं गुरू ग्रंथ साहेब का पाठ किया गया।