मनुष्य के अन्दर मौजूद आनन्द को महसूस कराते हैं सद्गुरु -आचार्य करुणेश मिश्र

दीपक मिश्रा 

हरिद्वार। श्रीगुरु सेवा फाउंडेशन, गाज़ियाबाद द्वारा हर की पैड़ी, मालवीय द्वीप (घंटाघर) आयोजित की जा रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा विश्व शांति महायज्ञ के दूसरे दिन कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र ने कुंती स्तुति (दुख निवारक भक्ति प्रसंग, शुकदेव आगमन, आत्मदेव व गोकर्ण की कथा सहित अनेक भक्तिमय प्रसंगों का श्रवण कराया।
‌‌ कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास आचार्य करुणेश मिश्र ने कहा कि, “आनन्द से बढ़ कर व्यक्ति के प्राप्त करने के लिये जीवन में में कोई दूसरी वस्तु नहीं है। जिसने आनन्द प्राप्त कर लिया, समझो सब कुछ प्राप्त कर लिया। यह आनन्द कहीं बाहर से नहीं आता, बल्कि, हमारे ही अन्दर मौजूद रहता है तथा जो आनन्द हमारे भीतर है, उसे महसूस करना सद्गुरु सिखाता है। उसे आनंद का दर्शन करना सद्गुरु सिखाता है।”
कथा रसपान कराते हुए आचार्य करुणेश मिश्र ने आगे कहा कि, स्वतन्त्र होना बहुत अच्छा व आवश्यक है, परन्तु, स्च्छन्द होना बिल्कुल अच्छा नहीं हैं। स्वछन्द होकर व्यक्ति दुराचरण के गड्ढे में ही गिरता है। कथा के दौरान होने वाले संकीर्तन के साथ भागवतप्रेमी मस्ती में ताली बजाकर झूमते रहे। घनश्याम आश्रम के श्रीमहंत किशन दास जी महाराज द्वितीय दिवस की कथा के विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इनके अतिरिक्त मुख्य रूप से मुख्य यजमान अनिल बाबू शर्मा, श्रीगुरु सेवा फाउंडेशन के अध्यक्ष रवि शंकर शर्मा, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी’, अरुण कुमार पाठक, सुनील शर्मा भी कथा में उपस्थित रहे।

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