दीपक मिश्रा
हरिद्वार, 23 नवम्बर। भगवान श्रीराम जन-जन के आराध्य व सनातन संस्कृति के आधार हैं। भगवान राम के कार्य में संलग्न रहने वाले व्यक्ति पर उनकी कृपा बनी रहती है और उसका कल्याण निश्चित है। उक्त उद्गार श्री ूरत गिरि बंगला गिरिशानंद संन्यास आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने सुखबीर सिंह नेगी द्वारा लिखित पुस्तक देवभूमि रामलीला के विमोचन अवसर पर आयोजित समारोह में व्यक्त किए। लेखक सुखबीर सिंह नेगी द्वारा लिखित पुस्तक देवभूमि रामलीला को श्रीराम के कार्य, देवभूमि व सनातन संस्कृति को संजोने वाली पुस्तक बताते हुए उन्होंने कहा कि सुखबीर सिंह नेगी ने पुस्तक में देवभूमि में आयोजित होने वाली रामलीलाओं का संवाद बड़े ही सुंदर रूप से प्रस्तुत किया है। जो देवभूमि की संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने में मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि सुखबीर सिंह नेगी ने पुस्तक के माध्यम से श्रीराम की लीलाओं का वर्णन कर श्रीराम सेवा का अनूठा कार्य किया है। जो व्यक्ति श्रीराम को समर्पित हो जाता है, उसका कल्याण निश्चित है। सुखबीर सिंह नेगी ने बताया कि प्रभु श्रीराम की प्रेरणा से उन्होंने पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर क्षेत्र में 75 वर्षों से हो रही राम लीला के मंचन का दस्तावेजीकरण करने का प्रयास किया है। बताया कि पुस्तक का संपादन कुसुम रावत व आवरण की परिकल्पना विभु रावत ने की है। पुस्तक का डिजाइन कुसुम रावत व गौरव गुप्ता ने किया है। 224 पृष्ठ की पुस्तक में देवभूमि की रामलीला का अनूठा संकलन है। विमोचन समारोह से पूर्व भगवान श्री राम की पूजा-अर्चना के साथ उनकी आरती उतारी गई और पुस्तक को मां गंगा को समर्पित किया गया। इस अवसर पर आश्रम के कोठारी उमानंद गिरि महाराज, प्रदीप गिरि, स्वामी कमलानंद, स्वामी बृज वल्लभ, सुधीर शुक्ला समेत कई संत व गणमान्य लोग मौजूद रहे। समारोह की शुरूआत स्वस्तिवाचन व श्रीराम स्तुति के साथ हुई।