दीपक मिश्रा
**25जून 1975 भारतीय लोकतंत्र का ‘काला दिवस’ : डा.नरेश बंसल राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष भाजपा व सासंद राज्य सभा**
**अब संविधान की दुहाई देने वाली कांग्रेस ने इमरजेंसी के रूप में प्रजातंत्र का गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया : डा.नरेश बंसल राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष भाजपा व सासंद राज्य सभा**
आज नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में ‘आपातकाल’ के विरोध में आयोजित ‘डार्क डेज ऑफ डेमोक्रेसी’ कार्यक्रम के साथ ही भाजपा ने आज आपातकाल की त्रासदी को काला दिवस के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश भर में मनाया। इस मौके पर अपने संदेश में भाजपा राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष व सासंद राज्य सभा डा.नरेश बंसल ने कहा कि 25जून को हम ‘काला दिवस’ के रूप में मना रहे हैं। यह आवश्यक है, कि इमरजेंसी के रूप में प्रजातंत्र का गला घोंटने का जो कुत्सित प्रयास हुआ था, देश का प्रत्येक नागरिक उसे जान सके।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा देश के संविधान को बदलकर अपनी कुर्सी बचाने के प्रयास से पूरा देश उद्वेलित हो गया था। उद्वेलना को रोकने के लिए उन्होंने 25 जून 1975 की रात आपातकाल की घोषणा की और हजारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया, उन्हें 19 महीनों से ज्यादा जेल में रहना पड़ा।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि आज संविधान व लोकतंत्र की दुहाई देने वाली तब अहंकार में डूबी, निरंकुश कांग्रेस सरकार ने एक परिवार के सत्ता सुख के लिए 21 महीनों तक देश में सभी प्रकार के नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए थे। इस दौरान उन्होंने मीडिया पर सेंसरशिप लगा दी थी, संविधान में बदलाव किए और न्यायालय तक के हाथ बाँध दिए थे।
डा नरेश बंसल ने आपातकाल के खिलाफ संसद से सड़क तक आंदोलन करने वाले असंख्य सत्याग्रहियों, समाजसेवियों, श्रमिकों, किसानों, युवाओं व महिलाओं के संघर्ष को नमन करते हुए कहा कि लोकतंत्र की हत्या की कोशिशों और उसे विफल करने वाले आंदोलनकारियों की स्मृतियों को सदैव याद रखना जरूरी है। ताकि संविधान की हत्या करने का भ्रम फैलाने वालों को आईने में अपना दागदार इतिहास भी नजर आए।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल आज संविधान खतरे में होने का भ्रम फैला रहे है पर उनका असली चेहरा हर साल 25 जून को जनता के सामने आ जाता है।जिन्होने खुद लोकतंत्र की हत्या की उनके द्वारा लोकतंत्र बचाने के दावे करना सिर्फ आडम्बर है।
डा. नरेश बंसल ने कहा कि देश में लोकतंत्र की मजबूती और अभिव्यक्ति की आजादी को कायम रखने के लिए, आपातकाल के स्याह पन्नों को पलटने की बहुत जरूरत है। ताकि वर्तमान के साथ नई पीढ़ी को भी इस दौरान हुई तानाशाही एवं ज्यादतियों का अहसास हो और भविष्य में इस तरह प्रयास न हो।
डा. बंसल ने कहा कि प्रजातंत्र की रक्षा और मजबूती के लिए आवाज उठाने और संघर्ष करने वाले सभी देशभक्तों को मैं इस अवसर पर नमन करता हूँ।
द्वारा निजी सचिव
डा. नरेश बंसल जी
माननीय राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष भाजपा व सासंद राज्य सभा