मौखिक रूप से किया जाने वाला व्यवहार आक्रामकता का मुख्य कारण है

दीपक मिश्रा 

 

हरिद्वार- 27 जुलाई लक्ष्यों मे रूकावट, अनादर, नुकसान पहुॅचाने के उददेश्य से शारीरिक अथवा मौखिक रूप से किया जाने वाला व्यवहार आक्रामकता का मुख्य कारण है। गुरुकुल कांगडी समविश्वविद्यालय के योग एवं शारीरिक शिक्षा संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ0 शिवकुमार चौहान ने सामाजिक संस्था अभ्युदय द्वारा सहारनपुर के एक बैंकट हॉल मे दिनांक 27.07.2024 को प्रातः 11ः00 बजे मानव व्यवहार का समाज एवं भावी पीढी पर प्रभाव विषय पर आयोजित कार्यशाला के शुभारम्भ सत्र में विषय-प्रवर्तक के रूप मे बोलते हुये कहॉ कि व्यक्ति का व्यवहार संस्कार एवं चरित्र से परिलक्षित होता है। इसके विपरीत उत्तेजना एवं असंस्कारित व्यवहार व्यक्ति मेेें आक्रामकता को बढाता है। डॉ0 शिवकुमार चौहान ने कहॉ कि मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण आक्रामकता को एक विनाशकारी प्रवृत्ति, हताशा की प्रतिक्रिया, नकारात्मक उत्तेजना तथा समाज मे होने वाले नकारात्मक आचरण के परिणाम स्वरूप उत्पन्न स्थिति मे एक महत्पवूर्ण कारक है, जिसका भावी पीढी के संस्कारों पर गहरा प्रभाव पडता है। संस्कार, संस्कृति एवं सम्मान का सामाजिक व्यवस्था मे एक प्रभावकारी योगदान रहा है, नैतिक उन्नयन एवं चरित्र निर्माण द्वारा व्यक्ति के व्यवहार का मूल्यांकन संभव है जो भारतीय संस्कृति का मूल ध्येय है। संस्कार, संस्कृति एवं सेवा-भाव को जीवन्त बनाये रखने के लिए वर्तमान सामाजिक परिवेश में इनका पुर्न-मूल्यांकन करके नई पीढी को संस्कारित करने की आवश्यकता है। संस्था के अध्यक्ष डॉ0 रमेश चन्द्र सेमवाल ने कहॉ कि चरित्र के बिना चमक एवं संस्कृति के बिना सहयोग की भावना का नई पीढी मे रोपण किया जाना संभव नही है। विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के विद्वान, विवेचक तथा विश्लेषकर्त्ता इस अवसर पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन सचिव मूल चन्द शास्त्री द्वारा किया गया, वही धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 सुधीर कुमार एवं डॉ0 भावना पाण्डेय द्वारा किया गया। शोध कर रहे शोधार्थियों ने अनेक प्रश्नों के समाधान प्राप्त किये।

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